बागवानी तेजी से उभरता हुआ कृषि व्यवसाय है। इस क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं हैं। बागवानी को भविष्य की खेती भी कहा जाता है। इसे एक बार लगा देने से कई सालों तक मुनाफा ले सकते हैं। बागवानी अपने अंदर तमाम संभावनाएं समेटे हुए है जो किसानों के लिए भविष्य में सुनहरे आय का एक साधन बन सकता है।
बागवानी का अर्थ
बागवानी शब्द की उत्पति ग्रीक के शब्दों से हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ है उद्यान की खेती। बागवानी में फलों, फूलों और पौधों, मसालों, औषधियों फसलों का प्रमुख स्थान है जिससे किसान को फायदा होता है। जो किसानों की आय के साथ-साथ जीवनस्तर में भी सुधार करता है।
बागवानी के क्षेत्र में अवसर ही अवसर है। बस पुराने मिथकों से नाता तोड़कर एक नए उन्नत तकनीक और ऊर्जा से काम करें। कृषि में केवल एक ही प्रकार या प्रजाति की बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जाता है, जबकि बागवानी अपने अंदर सभी प्रजातियों का विज्ञान समेटे है। पुष्प विज्ञान, फल विज्ञान आदि विभाग कृषकों को भरपूर सुविधा के साथ गुणवत्ता का भी ध्यान देते हैं।
बागवानी में प्रशिक्षण
किसी भी चीज में प्रशिक्षण लेना उसकी कार्यकुशलता को गति देता है। फिर प्रशिक्षण बागबानी का हो तो बहुत ही उपयोगी साबित होता है। मगर वक्त बदलने के साथ इसमें युवाओं की बढ़ती रुचि को देखते हुए कई ऐसे संस्थान हैं जिन्होंने इसमें प्रशिक्षण देना शुरू किया, बल्कि उनके लिए रोजगार के तमाम अवसर खोल दिए। इन प्रशिक्षण कार्यालयों में युवा लगातार आवेदन कर रहे है और अपने भविष्य की रूपरेखा तय कर रहे है।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की स्थापना भारत सरकार द्वारा अप्रैल, 1984 में डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन, तत्कालीन सदस्य (कृषि), योजना आयोग, भारत सरकार की अध्यक्षता में ‘‘विनाशवान कृषि उत्पादों पर समूह’’ की सिफारिशों के आधार पर की गई थी। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत है तथा इसका मुख्यालय गुरूग्राम में है।
बागवानी में रोजगार
बागवानी एक विकासशील विधि होने के चलते बागवानी अपने साथ रोजगार के अवसर लेकर चलता है। बागबानी से उपजे फल फूल आदि का व्यवसाय करके किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है। बागवानी क्षेत्र में कार्य कर रहे किसान तथा उसका परिवार साथ ही साथ बागवानी क्षेत्र से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए लोगों को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाता है। इसी तरह बहुत सारे रोजगार के अवसर बागबानी को नए युग का क्रांतिकारी क्षेत्र बनाते है।
भारत में बागवानी की स्थिति
भारत विभिन्न जलवायु वाला प्रदेश है जिसमे काफी भौगोलिक विविधता पाई जाती है पिछले कुछ दशकों से बागवानी के उत्पादन में भारत में अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन अन्य देशों की तुलना में यह बहुत ही कम है प्रति व्यक्ति बागवानी उत्पादन निम्न है।
भारत में बागवानी क्षेत्रफल एवं उत्पादन की स्थिति
कुल बागवानी | 2019-2020 | 2020-2021 |
क्षेत्रफल ;मिलियन हेक्टेयर | 6774 | 6930 |
उत्पादन ;मिलियन टन | 102080 | 102481 |
उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति
उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति 28* 43′ से 31* 27′ उत्तरी अक्षांश एवं 77* 34′ से 81* 2′ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 53483 वर्ग किलोमीटर है जो कि देश के क्षेत्रफल का 1.63 प्रतिशत है। राज्यों के कुल क्षेत्रफल में पर्वतीय भाग 46035 वर्ग किलोमीटर और मैदानी भाग 7448 वर्ग किलोमीटर है।
उत्तराखंड राज्य की पूर्वी सीमा नेपाल से लगती है तथा उत्तरी सीमा तिब्बत (चीन) से लगती है। राज्य की सीमा 2 भारतीय अन्य राज्यों से लगती है राज्य के पश्चिम में हिमाचल प्रदेश तथा दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा लगती है।
उत्तराखंड का मानचित्र
उत्तराखंड की जलवायु में काफी विविधता पाई जाती है क्योंकि इसकी भू संरचना भिन्न-भिन्न स्थानों में भिन्न-भिन्न पाई जाती है तथा मौसम में भी हमेशा बदलाव होता रहता है लेकिन यह प्रदेश शीत जलवायु की श्रेणी में आता है, जोकि उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों के उत्पादन के लिए काफी उपयुक्त है।
कृषि उत्तराखंड राज्य का प्रमुख व्यवसाय है जिसका प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य स्थापना के समय कृषि का क्षेत्रफल 7.70 लाख हेक्टेयर था जो घटकर अब 6.98 लाख हेक्टेयर रह गया है। राज्य के कुल कृषि क्षेत्रफल के लगभग 50 प्रतिशत भूमि सिंचित है जिसमें की पर्वतीय क्षेत्र में केवल 13 प्रतिशत तथा मैदानी क्षेत्रों में 94 प्रतिशत सिंचित क्षेत्रफल है।
उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति बागवानी फसलों के लिए बेहद ही उपयुक्त है जिसमें की विगत वर्षों से बागवानी के उत्पादन में उत्तराखंड राज्य ने प्रगति की है। वर्ष 2019-20 में कुल बागवानी क्षेत्रफल 108.57 मिलियन हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 181.07 मिलयन हेक्टेयर हुआ है।
उत्तराखंड में बागवानी क्षेत्रफल एवं उत्पादन की स्थिति
कुल बागवानी | 2019-2020 | 2020-2021 |
क्षेत्रफल ;मिलियन हेक्टेयर | 180.57 | 181.07 |
उत्पादन ;मिलियन टन | 664.89 | 648.90 |
जौनसार बाबर का इतिहास
पौराणिक काल में पूरे हिमालय क्षेत्र में किरात, कुणिद, राक्षस, दानव, तगण, पुलिंद, कोहल, डोम आदि जातियां निवास करती थी, तथा इनमें तीन बड़ी शक्तियां केदारखंड में शासन करती थी। प्रथम बाणासुर जिसकी राजधानी शेणितपुर में थी। दूसरा सुबाहु जिसकी राजधानी श्रीपुर (श्रीनगर) में थी, वह पुणिद, किरात, तगण, आदि जातियों का राजा था। तीसरी शक्ति थी राजा विराट है जिसकी राजधानी जौनसार के विराटगढ़ पर थी जो चकराता मसूरी मार्ग पर स्थित है। इसके महल के खंडहर, चारों ओर कटी खाइया, सुरंगें आज भी विद्यमान है।
शासकों की प्रबलता वह निर्बलता पर कालचक्र की गति में समय-समय पर जौनसार बावर की सीमाएं बदलती रही। कभी भी यह क्षेत्र किसी राजवंश के पास स्थाई रूप से नहीं रहा है।
जौनसार बावर का भू भाग जमना और टोंस नदी के बीच में स्थित है। जो कभी गढ़वाल व कभी सिरमौर के अंतर्गत आता था। वर्तमान में जौनसार बावर एक उत्तराखंड का अटूट हिस्सा है।
जौनसार बावर कई दशकों से अपनी कला एवं संस्कृति के लिए जाना जाता है, जिसमें की कहीं ना कहीं हिमाचल प्रदेश की संस्कृति के साथ भी मेल खाता है। जिसका कारण जौनसार बावर हिमाचल राज्य की सीमा से लगा हुआ है। जौनसार बावर का क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले से लगा है जिसमें की शिमला जिले के नेरवा, सिरमौर जिले और किन्नौर क्षेत्र से जौनसार बावर की सीमा लगी हुई है।
जौनसार बावर की वर्तमान भौगोलिक स्थिति
जौनसार बावर उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित है जिसे चकराता विधानसभा के नाम से भी जाना जाता है। जौनसार बावर 1002 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर विस्तारित है। जौनसार बावर क्षेत्र में 2 ब्लॉक, चकराता ब्लॉक और कालसी ब्लॉक है। चकराता ब्लॉक में 196 गांव और कालसी ब्लॉक में 169 गांव है। जो संपूर्ण जौनसार बावर (चकराता) के 365 गांव है। कालसी समुद्र तल से 780 मीटर पर स्थित है जबकि चकराता 2118 मीटर पर स्थित है।
जौनसार बावर और कृषि
जौनसार बावर की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है जहां की लगभग 93 प्रतिशत आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। गोरखा व अंग्रेज शासनकाल के दौरान भी यह क्षेत्र अपनी कृषि फसलों व उत्पादन के लिए जाना जाता है।
वर्तमान समय में जौनसार बावर में 93 प्रतिशत आबादी का आज भी आजिविका का साधन कृषि है। जिसमें कि अनाज, दाले, तिलहन फसलों के साथ ही साथ इस क्षेत्र में बागवानी को भी काफी प्राथमिकता दी जाने लगी है। बागवानी में सेब, आम, अनार, लीची आदि प्राथमिक फसलें है जो एक आमदनी का अहम हिस्सा है।
सर्वेक्षण क्षेत्र का मानचित्र
इस मानचित्र के माध्यम से जौनसार बावर के सभी गांवों को दर्शाया गया है तथा जौनसार बावर क्षेत्र का संपूर्ण क्षेत्रफल 1002 वर्ग किलोमीटर है। जौनसार बावर टोंस नदी और यमुना नदी के बीच में बसा हुआ है।
शोध के उद्देश्य
बागवानी क्षेत्र में उत्पादन तथा उत्पादन से प्राप्त आय और बागवानी में रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए इस अध्ययन में बागवानी के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि (किसानों की आय 2022 तक दोगुनी योजना) एवं क्षेत्र की समृद्धि का अध्ययन करता है। इस अध्ययन के निम्न प्रकार के उद्देश्य है-
1- जौनसार बावर में उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों को उगाने वाले उत्पादकों की सामाजिक-आर्थिक विशेषताओं का अध्ययन करना।
2- परंपरागत कृषि से बागवानी की ओर स्थानांतरण का अनुपात और भूमि उपयोग पैटर्न का विशेषण तथा बागवानी से किसानों की आय में वृद्धि का आकलन करना।
3- बागवानी को बढ़ावा देने में किसानों की सहभागिता और समस्याओं का आकलन करना।
4- भविष्य में बागवानी को बढ़ावा देने के लिए इस अध्ययन के माध्यम से उपयोगी सुझाव देना।
शोध के सन्दर्भ में अन्य शोधकर्ताओं के शोध के उदाहरण-
Srivastava, Ajay kumar 2021 बनारस जिले में उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों के उत्पादन और विपणन के माध्यम से किसानों की आय बढ़ने की संभावनाएं
इन्होंने अपने शोध में फलों और सब्जियों को बढ़ती हुई प्रवृत्तियों को बताया है तथा रबी एवं खरीफ फसलों में कटाई के बाद लगभग फसल बर्बाद हो जाती है जो कि उचित मांग एवं भंडारण की व्यवस्था में कमी के कारण होता है। उन्होंने शोध के माध्यम से फलों के उत्पादन की ओर अग्रसर होने के संकेत दिए हैं जिससे प्रति व्यक्ति फलों की उपलब्धता बढ़ सके।
उत्तर प्रदेश में सब्जी फसलों में 1256.27 हेक्टेयर क्षेत्र में 27.70 मिलियन टन उत्पादन और 22.05 मिलियन टन बागवानी उत्पादन होता है यह अनाज के उत्पादन की तुलना में कम है हालांकि फलों का कम उत्पादन और सब्जियों का अधिक उत्पादन होने पर बागवानी फसलों का उच्च मूल्य रहता है जिसे किसानों की आय अधिक प्रदर्शित होती है।
Tayeng monshi 2017 अरुणाचल प्रदेश में बागवानी फसलों की संभावनाएं सियांग जिले का एक अध्ययन
किसी भी फसल को उगाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जलवायु होती है, अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों और किसानों के सकारात्मक दृष्टिकोण से बागवानी में प्रगति लाई जा सकती है। झूमियो के कृषि पद्धति जो जंगलों को साफ करके खेती करते उनकी आर्थिक स्थिति निम्न होने का कारण यही है। यदि इन किसानों की चल रही कृषि पद्धति को हस्तांतरित करने के लिए बागवानी की ओर प्रोत्साहित किया जाए तो किसानों की कठिनाइयां भी कम होगी साथ ही साथ झूम खेती की वजह से वायु प्रदूषण पर भी लगाम लगेगा।
शोधकर्ता इस शोध के माध्यम से यह स्पष्ट करता है कि परंपरागत रूप से आदिवासीयों के बागवानी फसलों का उत्पादन करने से उनके सामाजिक तथा आर्थिक जीवन में बदलाव होंगे जिसमें उन्होंने नारंगी, अनानास, पपीता जैसी बागवानी फसलों का उल्लेख किया।
Thiyam,Benkee 2015 बराक घाटी असम में फलों की कटाई के उपरांत रोगों पर अध्ययन
प्रस्तुत शोध में शोधार्थी ने बागवानी फसलों के कटाई के उपरांत होने वाले विभिन्न रोगों एवं वहां की जलवायु का अध्ययन करते हुए बागवानी फसलों की समस्याओं पर प्रकाश डाला। तथा इस शोध के द्वारा यह स्पष्ट हुआ कि कवक अधिकतम विकास 20 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है और 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तथा 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान में इन कवकों का विकास कम दिखाई देता है।
Purshotam singh 2021 आर्थिक परिवर्तन शिमला हिल्स का एक केस स्टडी
शोधकर्ता इस शोध के माध्यम से शिमला के आर्थिक गतिविधियों के बारे में बताया है, जिसमें प्रारंभिक समय में तो परंपरागत तरीके से परंपरागत खेती की जाती थी। समय के साथ ही साथ खेती में परिवर्तन होता गया जिसके साथ ही साथ संस्कृति में भी कहीं ना कहीं परिवर्तन होता गया है। वर्ष 1998-1999 तक गेहूं, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा, दालों का उत्पादन काफी मात्रा में होता था।
लेकिन 1999-2000 के बाद बागवानी विकास के कारण यह परंपरागत फसलों का उत्पादन कम होता गया और लोगों ने धीरे-धीरे पारंपरिक खाद्यान्नों की खेती में रुचि खो दी, और खाद्यान्नों के आयात पर निर्भरता ने इस क्षेत्र के लोगों की पारंपरिक भोजन की आदतों में बदलाव लाया है। इस परिवर्तन के फलस्वरुप महिलाओं की स्थितियों में सुधार तथा रोजगार व शिक्षा में महत्वपूर्ण स्थान और इस आर्थिक विकास की संरचना ने जाति के बंधन को भी तोड़ दिया है।
अध्ययन का क्षेत्र
यह अध्ययन उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले मे जौनसार बावर क्षेत्र में बागवानी किसानों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर किया गया है। इस क्षेत्र का चयन क्षेत्र में पारंपरिक फसलों से बागवानी फसलों की ओर स्थानांतरण के अनुपात को देखते हुए किया गया है। यह क्षेत्र हिमाचल प्रदेश राज्य की सीमा से लगा हुआ है जिसका प्रभाव कहीं ना कहीं बागवानी की ओर स्थानांतरण के अनुपात की ओर निरंतर बढ़ता जा रहा है।
आंकड़ों के स्रोत
संलग्न प्रश्नावली के माध्यम से प्राथमिक स्रोत के द्वारा आंकड़ों को एकत्र किया गया है जिसके द्वारा इस अध्ययन के उद्देश्यों को पूरा किया गया है।
नमूनाकरण विधि
इस सर्वेक्षण में नमूनाकरण सम्मान एवं निष्पक्ष प्रतिनिधित्व के साथ किया गया है। संपूर्ण जौनसार बावर में 365 गांव है, जोकि 2 ब्लॉक में विभाजित है, पहला ब्लॉक, कालसी ब्लॉक जिसमें 169 गांव है, दूसरा ब्लॉक, चकराता ब्लॉक जिसमें 196 गांव है। इन दोनों ही ब्लॉक का समान प्रतिनिधित्व 10-10 प्रतिशत गांव सर्वेक्षण में लिया गया है। जिसमें कालसी ब्लॉक से 17 गांव तथा चकराता ब्लॉक से 22 गांव को सर्वेक्षण में सम्मिलित किया गया है।
इस सर्वेक्षण में जौनसार बावर के 22 गांवों को शामिल किया गया है। सर्वेक्षण सूची में शामिल गांवों को इस प्राथमिकता के साथ शामिल किया गया कि जिस क्षेत्र या गांव में यह परंपरागत कृषि से बागवानी की ओर स्थानांतरण अपेक्षाकृत अधिक पाया गया है उन्हीं गांवों को सर्वेक्षण सूची में शामिल किया गया है।
जौनसार बाबर के सर्वेक्षण क्षेत्र में शामिल किए गए गांव-
आकडो का विश्लेषण (DATA ANALYSIS)
तालिका-1 बागवानी क्षेत्र में साक्षरता की स्थिति
साक्षरता | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
शिक्षित | 107 | 66.87 |
अशिक्षित | 53 | 33.13 |
उपरोक्त तालिका-1 में उत्तरदाता किसानों की साक्षरता दर को दर्शाया गया है जिसमें 66.87 प्रतिशत उत्तरदाता किसान साक्षर हैं जबकि 33.13 प्रतिशत अशिक्षित है।
तालिका-2 लिंग आधार पर बागवानो क्षेत्र में किसानो की स्थिति
लिंग | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
पुरुष | 154 | 96.25 |
महिला | 6 | 3.75 |
उपरोक्त तालिका-2 में प्रदर्शित आंकड़े बागवानी क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं की भागीदारी को प्रदर्शित करता है। जिसमें की सर्वेक्षण क्षेत्र में 160 नमूने मे से 154 पुरुषों का बागवानी क्षेत्र में प्रतिनिधित्व है जो 96.25 प्रतिशत है। जबकि महिलाओं की भागीदारी बागवानी क्षेत्र में 3.75 प्रतिशत है।
तालिका-3 विभिन्न आयु वर्गो का बागवानी क्षेत्र में प्रतिनिधित्व
आयु वर्गो | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
25-35 | 36 | 22.5 |
35-45 | 37 | 23.12 |
45-55 | 42 | 26.25 |
55 से अधिक | 45 | 28.13 |
तालिका-3 बागवानी क्षेत्र में किसानों की विभिन्न आयु वर्गो को प्रदर्शित करता है, जिसमें 25-35 आयु वर्ग का प्रतिनिधित्व 22.5 प्रतिशत है, 35-45 आयु वर्ग का प्रतिनिधित्व 23.12 प्रतिशत है, 45-55 आयु वर्ग का 26.25 प्रतिशत तथा 55 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बागवानी किसान 28.13 प्रतिशत है। सर्वाधिक आयु वर्ग में 56 वर्ष से अधिक किसान बागवानी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं जोकि यह प्रदर्शित करता है कि बागवानी क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जो किसानों को एक सेवानिवृत्ति आयु के बाद भी एक आमदनी का स्रोत रहता है। क्योंकि प्रारंभिक कुछ वर्षों में ज्यादा कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है जब तक की उत्पादन शुरू ना हो, उत्पादन शुरू होने के बाद कठोर परिश्रम की आवश्यकता नहीं होती है और बागवानी क्षेत्र ही लंबे समय तक आमदनी देता है।
तालिका-4 किसानों की भाषा के संदर्भ में विवरण
भाषा | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
हिंदी | 160 | 100 |
जौनसारी | 160 | 100 |
अंग्रेजी | 11 | 6.88 |
——- | —— | —— |
तालिका-4 किसानों की भाषा के संदर्भ में आंकड़ों को प्रस्तुत करता है। बागवानी क्षेत्र में सभी किसान हिंदी तथा जौनसारी भाषा का प्रयोग रोजमर्रा की दिनचर्या में करते हैं। बागवानी किसानों में 6.88 प्रतिशत किसान हिंदी तथा जौनसारी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान रखते हैं।
तालिका-5 बागवानो की बागवानी क्षेत्र में अनुभवों की स्थिति
बागवानी क्षेत्र में अनुभव | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
5 वर्ष से कम | 4 | 2.5 |
5-10 | 28 | 17.5 |
10-15 | 32 | 20 |
15-20 | 22 | 13.75 |
20-25 | 14 | 8.75 |
25-30 | 19 | 11.88 |
30-35 | 20 | 12.5 |
35-40 | 21 | 13.13 |
तालिका-5 में किसानों के बागवानी क्षेत्र में अनुभव वर्षों के आंकड़ों को प्रदर्शित किया गया है। उपरोक्त इस तालिका में 5 वर्ष से कम का अनुभव 2.5 प्रतिशत को है,जो सबसे कम किसानों को है। सर्वाधिक 20 प्रतिशत किसानों को 10-15 वर्षों का बागवानी क्षेत्र में अनुभव प्राप्त है।
तालिका-6 बागवानी तथा अन्य व्यवसायो की स्थिति
व्यवसाय | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
कृषि और सेवा | 6 | 3.75 |
कृषि और बागवानी | 160 | 100 |
कृषि और पशुपालन | 112 | 70 |
तालिका-6 में किसानों के बागवानी के साथ कृषि एवं अन्य व्यवसाय के संदर्भ में आंकड़ों को प्रस्तुत किया गया है। 6 प्रतिशत किसान कृषि के साथ-साथ सेवा क्षेत्र में अभी संलग्न है और 70 प्रतिशत किसान बागवानी के साथ पशुपालन भी करता है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि बागवानी क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जिसके साथ ही साथ अन्य व्यवस्थाओं को भी अपनाया जा सकता है और जिससे कि किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी। पशुपालन आमदनी के साथ ही साथ बागवानी के लिए बेहतर जैविक उर्वरक प्रदान करता है जो फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक होता है।
तालिका-7 किसानों की कुल भूमि जोत के आकार का विवरण
भूमि जोत का आकार | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
0-4 बीघा | 3 | 1.87 |
4-8 बीघा | 19 | 11.88 |
8-12 बीघा | 35 | 21.87 |
12 बीघा से अधिक | 103 | 64.38 |
तालिका-7 में बागवानों के भूमि जोत के आकार को दर्शाया गया है जिसमें 0-4 बीघा भूमि 1.87 प्रतिशत किसानों के पास है और 4-8 बीघा भूमि जोत 11.88 प्रतिशत किसानों के पास है, 8-12 बीघा 21.87 प्रतिशत किसानों के पास है। 64.38 प्रतिशत किसान कैसे हैं जिनके पास 12 बीघा से अधिक भूमि है।
तालिका-8 बागवानी फसलों का विवरण
बागवानी फसल का नाम | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
आम | 59 | 36.87 |
अनार | 15 | 9.38 |
सेब | 107 | 66.88 |
अन्य | 33 | 20.63 |
तालिका-8 में सर्वेक्षण क्षेत्र के किसानों द्वारा उत्पादित की जाने वाली बागवानी फसलों से संबंधित आंकड़ों को दिखाया गया है। उपरोक्त तालिका में 36.87 प्रतिशत किसान आम का उत्पादन करते हैं और 9.38 प्रतिशत किसान अनार का उत्पादन तथा 66.88 प्रतिशत किसान सेब का उत्पादन करते हैं। 20.63 प्रतिशत किसान अन्य बागवानी फसलें जिसमें की अखरोट, लीची, पलम आदि फसलों का उत्पादन करते हैं।
तालिका-9 किसानों के द्वारा कुल भूमि का बागवानी के लिए भूमि का स्थानांतरण की स्थिति
बागवानी के लिए भूमि का स्थानांतरण | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
0-2 बीघा | 8 | 5 |
2-4 बीघा | 11 | 6.88 |
4-6 बीघा | 13 | 8.13 |
6-8 बीघा | 41 | 25.63 |
8 बीघा से अधिक | 87 | 54.38 |
तालिका-9 में यह आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं की बागवान अपनी भूमि का किस अनुपात में बागवानी के लिए स्थानांतरण कर रहे हैं। 5 प्रतिशत किसान 0-2 बीघा पर बागवानी फसलों का उत्पादन करता है, 6.88 किसान 2-4 बीघा पर 8.13 प्रतिशत किसान 4-6 बीघा पर बागवानी फसलों का उत्पादन करता है तथा 25.63 प्रतिशत किसान 6-8 बीघे पर बागवानी करता है और 54.38 प्रतिशत किसान 8 बीघा से अधिक भूमि पर बागवानी फसलों का उत्पादन करता है जो इस बात को भी प्रदर्शित करता है की पर्याप्त मात्रा में किसान अपनी भूमिका अधिकतम हिस्से पर बागवानी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं।
तालिका-10 बागवानी से आय प्राप्त होने की स्थिति
बागवानी से आय प्राप्त होना शुरू हुई है | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
हां | 155 | 96.88 |
नहीं | 5 | 3.13 |
तालिका-10 में यह दर्शाया गया है कि बागवानी कर रहे किसानों में से कितने किसानों को बागवानी से आय प्राप्त होना शुरू हुई है। उपरोक्त तालिका में प्रदर्शित आंकड़ों के अनुसार बागवानी कर रहे किसानों में 96.88 प्रतिशत बागवान को बागवानी से आय प्राप्त हो रही है जबकि 3.13 प्रतिशत बागवान को अभी आय प्राप्त होना शुरू नहीं हुई है इन बागवानों ने बागवानी की ओर स्थानांतरण कुछ समय पहले ही किया है।
तालिका-11 बागवानी फसलों के उत्पादन का समय अंतराल का विवरण
बागवानी फसल कितने वर्ष में तैयार होती है | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
0-2 वर्ष | 4 | 2.50 |
2-4 वर्ष | 27 | 16.88 |
4-6 वर्ष | 93 | 58.13 |
6-8 वर्ष | 36 | 22.50 |
तालिका- 11 में बागवानी फसलें कितने वर्ष में उत्पादन के लिए तैयार होती है इससे संबंधित आंकड़ों को प्रदर्शित किया गया है। इस तालिका में 0-2 वर्ष के समय अंतराल में उत्पादन के लिए तैयार होने वाली फसलों का उत्पादन 2.50 प्रतिशत किसान करते हैं तथा 2-4 वर्ष वाली फसलों का उत्पादन 16.88 प्रतिशत किसान करते हैं, 4-6 वर्ष की फसलें 58.13 प्रतिशत किसान करते हैं जो की सर्वाधिक है, 6-8 वर्षों में उत्पादन देने वाली बागवानी फसलों का उत्पादन 22.5 प्रतिशत किसान करते हैं।
तालिका-12 बागवानी की और पूर्ण रूप से स्थानांतरित होने वाले किसानों की स्थिति
बागवानी की ओर पूर्ण रूप से हस्तांतरित हो चुके हैं |
उत्तरदाताओ की संख्या |
कुल प्रतिशत |
हां
|
18 |
11.25 |
नहीं |
142 |
88.75 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 12 बागवानी की ओर पूर्ण रूप से स्थानांतरित होने वाले किसानों से संबंधित आंकड़ों को दर्शाया गया है। इस तालिका में वैसे किसान जो पूर्ण रूप से बागवानी की ओर स्थानांतरित हो चुके हैं ऐसे किसान 11.25 प्रतिशत है ये किसान अपनी कृषि भूमि का पूर्ण रूप से बागवानी के लिए उपयोग करते हैं तथा पूर्ण रूप से बागवानी की ओर स्थानांतरित हो चुके है अब इनके पास बागवानी विस्तार के लिए शेष भूमि नहीं है। 88.75 किसान ऐसे है जो अभी पूर्ण रूप से बागवानी की ओर स्थानांतरित नहीं हुए हैं यह किसान धीरे धीरे बागवानी की ओर अपना विस्तार कर रहे हैं।
उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि किसान जब बागवानी की ओर स्थानांतरण हो रहा है तो वह अपनी भूमि को चरणबद्ध चरण तरीके से बागवानी की ओर शिफ्ट करता है। क्योंकि बागवानी ऐसी फसल है जो तुरंत उत्पादन नहीं देता है यह एक अपने आप में लंबे समय के बाद उत्पादन देता है, इसीलिए किसान बागवानी की ओर धीरे धीरे शिफ्ट होते हैं जिससे कि वह तब तक, जब तक की कुछ एक हिस्से में लगाई गई बागवानी फसल से उत्पादन शुरू ना हो तब तक वह किसी अन्य कृषि गत फसलों में अपनी आर्थिक निर्भरता को बनाए रखते हैं। उसके बाद किसान बागवानी फसलों का विस्तार कर रही है।
तालिका-13 बागवानो के बागवानी फसलों (पौधों) की संख्याओं की स्थिति
बागवानी फसल पौधो की संख्या |
उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
100 ls de |
27 |
16.88 |
100-200 |
39 |
24.38 |
200-300 |
4 |
2.5 |
300-400 |
9 |
5.63 |
400-500 |
8 |
5 |
500-600 |
10 |
6.25 |
600-700 |
17 |
10.63 |
700-800 |
4 |
2.5 |
800-900 |
9 |
5.63 |
900-1000 |
9 |
5.63 |
1000 से अधिक |
24 |
15 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 13 किसानों के उत्पादित बागवानी फसलों की क्षमताओं के संदर्भ में आंकड़ों को प्रदर्शित करती है जिसमें ऐसे किसान जो 100 से कम बागवानी फसलों (पौधों) के साथ बागवानी कर रही है ऐसे किसान 16.88 प्रतिशत है, 100-200 बागवानी पौधों का उत्पादन 24.38 प्रतिशत किसान, 200-300 पौधों का 2.5 प्रतिशत किसान, 300-400 पौधों का 5.68 प्रतिशत किसान, 400-500 बागवानी पौधों का 5 प्रतिशत किसान, 500-600 पौधों का 6.25 प्रतिशत किसान उत्पादन करते हैं, 600-700 पौधों का 10.63 प्रतिशत किसान, 700-800 बागवानी पौधों का 2.5 प्रतिशत किसान उत्पादन करते हैं, 800-900 पौधों का 5.63 प्रतिशत किसान, 900-1000 बागवानी पौधों का 5.63 प्रतिशत किसान उत्पादन करते हैं तथा 1000 से अधिक बागवानी पौधों का 15 प्रतिशत किसान उत्पादन करते हैं।
तालिका-14 किसानों की बागवानी फसल विस्तार की संभावनाओं का विवरण
बागवानी फसल के विस्तार की संभावना |
उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
हां |
160 |
100 |
नहीं |
0 |
0 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 14 में किसानों की बागवानी फसल विस्तार की संभावना के संदर्भ में कुछ आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं जिसमें की यह प्रदर्शित है ऐसे किसान जिनको बागवानी फसल विस्तार की संभावनाएं और भी महसूस होती है इसमें सर्वेक्षण के दौरान प्राप्त आंकड़ों के आधार पर शत प्रतिशत किसानों ने माना है कि अभी और भी बागवानी विस्तार की संभावनाएं है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि आज के समय बागवानी फसलों में अनेक प्रकार की किस्मों का उद्घोष हुआ है जिन किसानों के प्रयोग से किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होगा यह कम समय अंतराल तथा कम कृषि भूमि पर अधिक बागवानी फसलों (पौधों) का उत्पादन किया जा सकता है जिससे किसान इस ओर अधिक आकर्षित है तथा इन किस्मों को प्रयोग को लेकर ज्यादा उत्सुक है।
तालिका-15 बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वाले कुल सदस्यों तथा मानदेय पर कार्य करने वाले सदस्यों का विवरण
बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वाले कुल सदस्य |
मानदेय पर कार्य करने वाले सदस्य |
|
1288 |
190 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 15 में बागवानी क्षेत्र में रोजगार की स्थितियों के बारे में स्पष्ट किया गया है। जिसमें की सर्वेक्षण क्षेत्र में शामिल किए गए 160 नमूनों में यह पाया गया कि कुल 1288 लोगों को बागवानी क्षेत्र रोजगार प्रदान करता है, तथा इस सर्वेक्षण में यह पाया गया कि 1288 में से 190 लोगों को बागवानी क्षेत्र में मानदेय पर कार्यों के लिए रखा गया है जोकि 14.75 प्रतिशत लोग बागवानी क्षेत्र में मानदेय पर कार्य करते हैं।
तालिका-16 बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वाले पुरुषों तथा महिलाओं की स्थिति
बागवानी में पुरुषों की संख्या |
कुल प्रतिशत |
बागवानी में महिलाओं की संख्या |
कुल प्रतिशत |
922 |
71.58 |
366 |
28.41 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 16 में बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वाले पुरुषों और महिलाओं की स्थितियों के बारे में आंकड़ों को प्रस्तुत किया गया है, जिसमें की बागवानी क्षेत्र में 71.58 प्रतिशत पुरुष कार्यरत है तथा 28.41 प्रतिशत महिलाओं को बागवानी क्षेत्र रोजगार प्रदान करता है।
तालिका-17 जैविक बागवानी फसलों की स्थिति
बागवानी जैविक पद्धति से की जाती है |
उत्तरदाताओ की संख्या |
कुल प्रतिशत |
हां |
46 |
28.75 |
नहीं |
114 |
71.25 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 17 में जैविक तथा अजैविक पद्धति से उत्पादित बागवानी फसलों के आंकड़ों को प्रदर्शित किया गया है। जिसमें की 28.75 प्रतिशत किसान बागवानी फसलों का उत्पादन जैविक पद्धति से करते हैं तथा 71.25 प्रतिशत किसान बागवानी फसलों का उत्पादन अजैविक पद्धति से करते हैं।
तालिका-18 आर्थिक रूप से बागवानी पर निर्भर किसानों का विवरण
आर्थिक रूप से बागवानी पर निर्भर है |
उत्तरदाताओ की संख्या |
कुल प्रतिशत |
हां |
20 |
12.50 |
नहीं |
140 |
87.50 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 18 बागवानी पर किसानों की आर्थिक निर्भरता के संदर्भ में आंकड़ों को दर्शाया गया है जिसमें 12.50 प्रतिशत किसान आर्थिक रूप से बागवानी पर निर्भर है तथा 87.50 प्रतिशत किसान अभी पूर्ण रूप से बागवानी पर निर्भर नहीं है। उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि किसान बागवानी की ओर धीरे धीरे विस्तारित हो रहा है जिसमें कि वह शुरुआती समय में बागवानी के साथ-साथ अन्य फसलों का भी उत्पादन करता है जिससे कि वह बागवानी फसल तैयार होने तक अन्य फसलों से अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सके जिसके बाद बहुत धीरे-धीरे बागवानी फसलों का विस्तार करता है।
तालिका-19 किसानों की बागवानी से पहले से आय वृद्धि की स्थिति
आय में पहले की तुलना में वृद्धि हुई |
उत्तरदाताओ की संख्या |
कुल प्रतिशत |
हां |
156 |
97.50 |
नहीं |
4 |
2.50 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 19 में किसानों की बागवानी से आय में वृद्धि के संदर्भ में आंकड़ों को प्रदर्शित किया गया है जिसमें 97.50 प्रतिशत किसानों ने यह माना है कि बागवानी की वजह से उनकी आय में पहले की तुलना में वृद्धि हुई है। तथा 2.50 प्रतिशत किसानों ने यह माना है की बागवानी से अभी आय में वृद्धि नहीं हुई है।
तालिका-20 बागवानी से पिछले 5 वर्षों में आय में वृद्धि होने की स्थिति
बागवानी की वजह से 5 वर्षो में आय में कितनी वृद्धि हुई |
उत्तरदाताओ की संख्या |
कुल प्रतिशत |
2 गुना |
92 |
57.50 |
3 गुना |
42 |
26.25 |
4 गुना |
9 |
5.63 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 20 में पिछले 5 वर्षों में बागवानी से किसानों की आय में वृद्धि से संबंधित आंकड़ों को दर्शाया गया है। जिसमें की 57.50 प्रतिशत किसानों ने यह माना है कि उनकी आय में पिछले 5 वर्षों से 2 गुना वृद्धि हुई है और 26.25 प्रतिशत किसानों की आय में 3 गुना वृद्धि हुई तथा 5.63 प्रतिशत किसानों ने यह माना है कि उनकी आय में 4 गुना वृद्धि हुई है।
सर्वेक्षण के दौरान उपरोक्त तालिका-20 में प्राप्त आंकड़ों के आधार पर स्पष्ट है कि बागवानी में वह सारी अपार संभावनाएं है जिससे किसानों की ही नहीं बल्कि प्रदेश और राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि हो सकती है। जिसमें प्राप्त आंकड़ों के आधार पर हम यह देख पा रहे हैं कि बागवानी से सबसे ज्यादा 57.50 प्रतिशत किसानों की आय दोगुनी हुई है ऐसा बागवानी से ही संभव है जो आज के समय सर्वेक्षण क्षेत्र में किसानों के बीच प्रतिष्ठा का भी प्रतीक है।
तालिका-21 किसान सम्मान निधि मिलने वाले किसानों की स्थिति
किसानो को सम्माननिधि मिलती हैं | उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
हां |
144 |
90 |
नहीं |
16 |
10 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 21 में किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के संदर्भ में आंकड़ों को दर्शाया गया है। जिसमें 90 प्रतिशत किसान ऐसे है जिन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि मिलती है तथा 10 प्रतिशत किसान ऐसे है जिन्हें यह सम्मान निधि नहीं मिलती है।
तालिका-22 ऋण स्रोतो की स्थिति
ऋण के स्रोत |
उत्तरदाताओ की संख्या | कुल प्रतिशत |
बैंक |
129 |
80.63 |
सहूकार |
30 |
18.75 |
सहकारी समितियां |
25 |
15.63 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 22 में ऋण स्रोत के संदर्भ में आंकड़ों को प्रस्तुत किया गया है। जिसमें की 80.63 प्रतिशत बागवान बैंकों से ऋण लेते हैं और 18.75 प्रतिशत बागवान साहूकार से ऋण प्राप्त करते हैं तथा 15.63 प्रतिशत बागवान ऋण के लिए सहकारी समितियों पर निर्भर होते हैं।
तालितालिका-23 E-NAM पोर्टल के बारे में जानकारी की स्थितिका-
E-NAM पोर्टल के बारे में जानते हैे |
उत्तरदाताओ की संख्या |
कुल प्रतिशत |
हां |
2 |
1.25 |
नहीं |
158 |
98.75 |
स्रोतः- शोद्यार्थी द्वारा स्वयं संकलित प्राथमिक आँकडें (2021-2022)
तालिका- 23 में E-NAM पोर्टल की बारे में जानकारी की स्थितियों के संदर्भ में आंकड़ों को दर्शाया गया है। जिसमे की मात्र 1.25 प्रतिशत किसानों को ही E-NAM पोर्टल के बारे में जानकारी है तथा 98.75 प्रतिशत किसानों को E-NAM पोर्टल के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
निष्कर्ष और सुझाव
जौनसार बावर सर्वेक्षण क्षेत्र हिमाचल राज्य की सीमा से लगा हुआ क्षेत्र है, जिसमे जौनसार बावर का क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले से लगा है। शिमला जिले के नेरवा, सिरमौर और किन्नौर क्षेत्र से जौनसार बावर की सीमा लगी हुई है। हिमाचल राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही बागवानी है, जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से इस क्षेत्र पर दिखाई देता है। जौनसार बावर क्षेत्र में ज्यादातर मौसमी फसलें रबी एवं खरीफ की फसलों का उत्पादन होता आ रहा था। जब यहा मौसमी फसल चक्र समाप्त हो जाता तो यहां के किसान हिमाचल प्रदेश में मजदूरी करने जाते है , जहां से वह अच्छी आमदनी के साथ-साथ वहां से बागवानी के क्षेत्र में प्रशिक्षण अपने साथ लेकर आते है, जिसको सरकार प्रायोजित योजनाएं नहीं कर पाई। प्रशिक्षण प्राप्त होने के बाद किसान अपने वहां पर बागवानी की ओर रुझान दिखाने लगे, यह प्रचलन वर्तमान में बढ़ता ही जा रहा है। क्योंकि बागवानी क्षेत्र की ओर बढ़ना वास्तव में किसान की आर्थिक समृद्धि का एक संकेत है।
इस सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि, जैसा कि उपरोक्त आंकड़ों के विश्लेषण में भी कहा गया है की बागवानी फसल 2 से 5 वर्ष के अंतराल में उत्पादन देना शुरू करती है। उत्पादन देने तक इन पौधों के बीच ही अन्य मौसमी फसलों का उत्पादन किया जाने लगता है जहां तक की कहीं-कहीं पर तो यह भी पाया गया है कि बागवानी फसलों का उत्पादन बंजर भू भाग में भी किया जाने लगा है। जोकि कहीं ना कहीं क्षेत्र एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था की लिए शुभ संकेत है। उपरोक्त आंकड़ों से यह पता चलता है कि जब किसान बागवानी की ओर स्थानांतरण करता हेेैे तो वह अपनी भूमि का स्थानांतरण कुछ कुछ भू भाग करके स्थानांतरण करता है, क्योंकि उसे बागवानी फसल तैयार होने तक अपनी आर्थिक निर्भरता को अन्य फसलों पर बनाएं रखता है।
जौनसार बावर क्षेत्र में बागवानी फसल में सबसे ज्यादा सेब 66.8 प्रतिशत का उत्पादन होता है, जो विशेष रूप से चकराता ब्लॉक में होता है क्योंकि सेब भी ज्यादा शीत जलवायु की मांग करता है। दूसरी सबसे ज्यादा उत्पादित फसल आम है जिसका 36.87 प्रतिशत का उत्पादन होता है, आम का उत्पादन ज्यादातर कालसी ब्लॉक में होता है क्योंकि कालसी ब्लॉक की जलवायु आम के उत्पादन के लिए बहुत ही अनुकूल है। इसके अलावा जौनसार बावर के अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न भिन्न प्रकार की बागवानी फसलों का उत्पादन किया जाता है, जैसे कि अखरोट, अनार, लीची, आदि फसलों का उत्पादन होता है।
उपरोक्त तालिका नंबर-20 में दिखाया गया है कि 97.5 प्रतिशत बागवानी किसानों की आय पहले की तुलना में वृद्धि हुई है, जिसमें की 57.5 प्रतिशत किसानों की आय पिछले 5 वर्षों में दोगुना वृद्धि हुई है, और 26.25 प्रतिशत किसानों की आय में 3 गुना तथा 5.63 प्रतिशत किसानों की आय में 4 गुना वृद्धि हुई है। इस तरह से उद्यानीकरण में आर्थिक समृद्धि की अपार संभावनाएं है इसीलिए शिक्षित युवा भी बागवानी की ओर अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं, जिसमे कि हमने यह पाया है कि बागवानी क्षेत्र में साक्षरता दर 66.87 प्रतिशत है।
किसानों को मिल रही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जौनसार बावर क्षेत्र में 90 प्रतिशत लोगों को मिलती है जिसमें से 89.38 प्रतिशत लोगों का यह मानना है कि हमारे लिए यह सम्मान निधि काफी उपयोगी है। जिसमे की उत्पादन लागत के खर्च एवं रोजमर्रा के खर्च को वहन करने में सहायता मिलती है।
इस क्षेत्र में ज्यादातर किसान निवेश के लिए ऋण 80.63 प्रतिशत लोग बैंकों से लेते हैं और 18 प्रतिशत लोग ऋण साहूकार से लेते हैं। बागवानी में ऋण सुविधा की बहुत ही आवश्यकता महसूस की जाती है जिसमें की बागवानी में उपयोग किए जाने वाले आधुनिक तकनीकी उपकरणो एवं इसके महंगी निवेश की लागत को वहन करने के लिए बागवानी किसानों को ऋण की आवश्यकता होती है यह ऋण जिन स्रोतों से उचित समय पर और आसानी से प्राप्त होता है वह वहीं से ऋण लेना उचित समझते हैं।
सर्वेक्षण क्षेत्र के किसान ज्यादातर 96.25 प्रतिशत लोग आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके उत्पादन करते हैं जो कि बागवानी के लिए अति आवश्यक है। बागवानी से संबंधित जानकारी का प्राथमिक स्रोत यहां के लोगों का अन्य किसान है, लोग अन्य किसानों से बागवानी के बारे में जानकारी प्राप्त करके अपनी बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाते हैं। किसान अपनी उत्पादित फसल ज्यादातर 98.75 प्रतिशत किसान मंडियों में बेचते हैं, किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा लागू किया गया E-NAM पोर्टल की जानकारी सिर्फ 1.25 प्रतिशत किसानों को है वह भी इसका लाभ नहीं लेते हैं, क्षेत्र के ज्यादातर किसान अपनी फसलों को मंडियों में आकर बेचते हैं।
संक्षेप में जौनसार बावर क्षेत्र में पारंपरिक फसलों से बागवानी की ओर स्थानांतरण कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। जिसे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी साथ ही साथ प्रति व्यक्ति बागवानी फसलों की उपलब्धता में वृद्धि होगी जो अभी काफी कम है। बागवानी की ओर स्थानांतरण किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है, क्योंकि उद्यानीकरण में आर्थिक समृद्धि की अपार संभावनाएं है जो देश एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में संजीवनी बूटी का काम करेगी।
सुझाव
इस सर्वेक्षण के माध्यम से बागवानी क्षेत्र को और सुदृढ़ बनाने और किसानों को उत्पादन में ओर सहूलियत प्रदान करने के लिए कुछ सुझाव प्रस्तुत करता है। जिससे बागवानी के विस्तार में हो रही असुविधाएं तथा कठिनाइयों को दूर करके देश के सकल घरेलू उत्पादन में कृषि अर्थव्यवस्था के योगदान को बढ़ाया जा सके साथ ही साथ बागवानी से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सके। इसके लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित है-
1- किसानों को ग्रामीण परिवेश में बागवानी के संबंध में उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था हो जिससे सभी किसान बागवानी की ओर प्रोत्साहित हो सके।
2- बागवानी में उच्च निवेश की आवश्यकता होती है जिसके लिए ऋण की जरूरत पड़ती है, जिससे कि यह देखा गया है कि किसानों को ऋण सुविधाओं की उचित व्यवस्था ना होने पर किसान साहूकारों से उच्च दरों पर ऋण लेने के लिए मजबूर होते हैं जिससे किसानों को उच्च ब्याज दर के कारण आर्थिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग प्रणाली का उचित विकास हो जिससे किसानों को आसानी से उचित दरों पर ऋण सुविधाओं का लाभ मिल सके और जिससे किसान साहूकारों के चुंगल से बाहर निकल सके।
3- सरकार को यह प्रयास करना होगा कि विभिन्न जलवायु के अनुरूप बागवानी फसलों के विषय में किसानों को परिचित करवाएं जिससे किसान उचित जलवायु पर उचित फसलों का ही उत्पादन कर सकें।
4- ग्रामीण क्षेत्र में यह देखा गया है कि बागवानी क्षेत्र में जानकारी के स्रोत अन्य किसान है। जिससे किसानों को स्पष्ट एवं पूरी जानकारी नहीं मिल पाती है, कि किस तरह से पौधों की देखरेख करनी है तथा किस जलवायु में कौनसी बागवानी फसल उत्पादित की जा सकती है। ऐसे में सरकार द्वारा बागवानी संबंधित योजनाओं का विस्तार बढ़ाना चाहिए जिससे जमीनी स्तर पर किसानों को लाभ मिल सके।
5- किसान एवं कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित E-NAM पोर्टल जिसके द्वारा यह प्रावधान किया गया है की किसान पूरे देश में किसी भी हिस्से में अपनी उत्पादित फसलों को बेच सकता है। लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि इसके बारे में जमीनी स्तर पर किसानों को ना ही जानकारी है ना ही इसका लाभ लेते हैं। E-NAM पोर्टल को इस तरह से किसानों के बीच प्रचारित करना होगा कि जिससे किसानों को इसकी जानकारी एवं इसके प्रयोग से लाभ के बारे में पता चल सके और इसके तहत खरीद सुनिश्चित की जा सके, जिससे किसानों को लाभ मिल सके।
Article By -: Team Kalyan Institute
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