अनुभवजन्य ज्ञान (Empirical Text) वह ज्ञान है, जो सिद्धांत के बजाय अवलोकन प्रयोग या इंद्रियों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। अनुभवजन्य ज्ञान अनुभवों द्वारा प्राप्त व्यावहारिक ज्ञान से सम्बन्धित है अर्थात् व्यक्ति को अपने जीवन में जितने अधिक तथा जितने व्यापक अनुभव होते जाते हैं उसका अनुभवजन्य अधिगम का क्षेत्र उतना ही व्यापक होता चला जाता है। उसमें उतना ही अधिक संवर्द्धन होता चला जाता है। इस प्रकार, अनुभवों के आधार पर जो मानसिक योग्यता अर्जित की जाती है वह अनुभवजनय ज्ञान कहलाता है। अनुभवजन्य ज्ञान के आधार ही अनुभवजन्य बुद्धि का उदय होता है। जिस व्यक्ति में यह बुद्धि अधिक होती है वह परिस्थितियों के अनुसार उन्हें ठीक से समझकर तथा आकलन करके अपने लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में आसानी से एवं तेजी से अग्रसर हो जाता है तथा तब तक प्रयासरत रहता है जब तक वह अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेता । इस प्रकार की बुद्धि को सृजनात्मक बुद्धि भी कहा जाता है । यह बुद्धि जिस व्यक्ति में जितनी अधिक होगी उसका व्यावहारिक ज्ञान भी उतना ही अधिक होगा। इस प्रकार की बुद्धि में व्यक्ति में सूझ-बूझ से कार्य करने तथा नये-नये विचारों को सृजन करने की क्षमता विद्यमान होती है । इस प्रकार की बुद्धि में व्यक्ति अपने अतीत के अनुभवों का उपयोग करके वर्तमान में उपस्थित समस्याओं का समुचित समाधान ढूँढने का प्रयास करता है जिसकी अभिव्यक्ति सर्जनात्मक निष्पादन में अधिक होती है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जिन व्यक्तियों में इस प्रकार की बुद्धि होती है वे अपनी भिन्न-भिन्न प्रकार की अनुभूतियों को इस ढंग से संगठित कर लेते हैं ताकि उनका उपयोग मौलिक एवं अनूठे ढंग से नवीन खोजों एवं अनुसंधान कार्य में किया जा सके। यह एक प्रकार से अधिगम हस्तान्तरण ही है। इस प्रकार, अनुभवजन्य ज्ञान में कम से कम दो प्रकार के तत्त्व अवश्य निहित होते हैं— नवीन परिस्थितियों एवं समस्याओं से निबटने की क्षमता तथा दूसरे, सूचना संसाधनों को स्वचालित करने की क्षमता । प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन, आइन्स्टीन, एडिसन, फ्रॉयड, जोहन्स गुटेनबर्ग आदि इस बुद्धि के बल पर इतनी अधिक खोजें करने में सफल रहे थे । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अनुभव हमारे अधिगम के आधार स्तम्भ होते हैं। हमारा अधिकांश अधिगम अनुभवजन्य ही होता है।
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”ज्ञान ही गुण है” (Knowledge is virtue), ज्ञान मनुष्य को अन्धेरे से प्रकाश में ले जाता है। भारतीय दर्शन के अनुसार ज्ञान मानव जीवन का सार है, विश्व का नेत्र है, ज्ञान से बढ़कर कोई सुख नहीं है; ज्ञान का प्रकाश सूर्य के समान है; ज्ञानी मनुष्य ही अपना और दूसरों का कल्याण करने में समर्थ होता है। ज्ञान विश्व के रहस्यों को प्रकाशित करने वाला है, ज्ञान से ही चरित्र का बोध होता है और ज्ञान की आराधना करने से अज्ञान का नाश होता है।
प्राचीन काल में शिक्षा वर्ग विशेष को प्राप्त होती थी और ज्ञान, शिक्षा का एक मात्र उद्देश्य होता था। आज भी इस वैज्ञानिक युग में ज्ञान मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र है जो पथ-पथ पर उसका मार्गदर्शन करता है। आज मनुष्य नये-नये ज्ञान का अभ्यास करके ज्ञानोपार्जन करता है क्योंकि ज्ञान चैतन्य है (चेतना है)। ज्ञान मनुष्य को दो शक्ति प्रदान करता है जिससे मनुष्य का मनोबल और प्रबल होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। ज्ञान से मनुष्य में विवेक शक्ति का विकास होता है।
- हमारे आसपस उपलब्ध खाद्य पदार्थ जिसमें की फ्रूट्स, भोजन आदि उपलब्ध होता है हमें यह हो भली-भाति पता होता है कि किस पदार्थ का क्या स्वाद है क्योंकि हमने इसे पहले अनुभव किया है इसीलिए हम इसे स्पष्टता के साथ पहले से जानते हैं।
- किसी वस्तु के भार के संदर्भ में व्यक्ति पहले से यह अनुमान करता है कि इसका भार बहुत अधिक या कम होगा क्योंकि उसने पदार्थ की प्रकृति के अनुसार कभी ना कभी अनुभवजन्य ज्ञान प्राप्त किया हुआ है।
- आग की लाभकारी और विनाशकारी दोनों ही रूपों में है इसका आभास हमें तब हुआ है जब हमने व्यवहारिक रूप में इसे अनुभव किया है यह ज्ञान आग की लपटों का अनुभव करने के बाद होता है। आग जब मानवीय जरूरतों को पूरा करत है तो वह लाभकारी संदर्भ में है यदि माननीय आवश्यकताओं को हतोत्साहित करती है तो वह विनाशकारी साबित होती है।
- सभी लोग जानते हैं कि बर्फ पानी में तैरती है भले ही उन्हें इस प्रक्रिया के पीछे की थ्योरी के बारे में पता न हो क्योंकि हमने कभी ना कभी इसे अनुभव किया है।
- प्रत्येक व्यक्ति का भाषाई अनुभव अपने बचपन में प्राप्त किया होता है। बच्चे अपनी पहली भाषा को पहले अनुभव से सीखते हैं; शिशुओं ने अपने घरों में भाषा और उनके शब्दों को आत्मसात किया होता है।
- बच्चे अनजाने में चलना सीखते हैं, क्योंकि वे कई बार अभ्यास करते हैं जब तक कि उन्हें इसके लिए सही तरीका नहीं मिल जाता है तो इस तरह से अनुभवजन्य ज्ञान के माध्यम से लोग चलना सीखते हैं।
- साइकिल चलाना एक अनुभवजन्य ज्ञान है, क्योंकि यह अभ्यास के माध्यम से ही सीखा जाता है।
- लोग जानते हैं कि उबालने पर तरल पदार्थ वाष्पित हो जाते हैं। हालांकि सभी लोग सिद्धांत को नहीं जानते हैं जो इसे संभव बनाता है, वे बहुत स्पष्ट हैं कि यह स्थिति हर बार एक तरल वाष्पीकरण होती है।
BY : TEAM KALYAN INSTITUTE
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