Rural and Agricultural Development in India (भारत मे ग्रामीण एवं कृषि विकास)
भारत के संपूर्ण विकास के साथ-साथ अगर ग्रामीण विकास की बात करें तो ग्रामीण विकास में अपने आप में कृषि का एक बहुत बड़ा महत्व है। क्योंकि हिंदुस्तान आज भी गांव में निवास करता है, जिसका मुख्य व्यवसाय कृषि है यदि हमारे देश की कृषि व्यवस्था बेहतर होती है तो कहीं ना कहीं पूरा देश खुशहाल होगा क्योंकि आज देश की कुल जनसंख्या का 70% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। जिसमें की 65% जनसंख्या कृषि पर आधारित है आज के समय GDP में कृषि का महत्व 20% है और निर्यात में लगभग 11% का योगदान है कृषि का। और इतना ही नहीं देश की संपूर्ण आबादी को खाद्य सामग्री की आपूर्ति करती है और उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध होता है कृषि के माध्यम से। अगर हरित क्रांति से पहले का दौर देखा जाए तो उस दौरान हमारा देश खाद्य आपूर्ति की समस्या से जूझ रहा था लेकिन हरित क्रांति के बाद से भारत ने कृषि को इतना मजबूत कर दिया है कि देश के भंडारण ही नहीं भरे बल्कि आज भारत निर्यात तक करने लगा है।
भारत की दृष्टि से कृषि की महत्वता को देखते हुए सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र में लगातार ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं जिससे कि कृषि को आधुनिक तकनीक के माध्यम से विकसित किया जाए और उत्पादकता को अधिक से अधिक किया जाए। इतना ही नहीं कृषि उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन, मछली पालन, भेड़ बकरी पालन आदि को भी समानांतर रखा गया तथा इसके विकास पर बल दिया गया।
भारत की 70% आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रही है लेकिन अब शहरों की चकाचौंध की वजह से पलायन ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है। जिसको लेकर सरकार भरपूर प्रयास कर रही है कि किस तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के लिए मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जाए जिसमें की सिंचाई व्यवस्था, परिवहन सुविधाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली आदि जिससे पलायन को रोका जा सके कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाए। सरकार ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कुछ अहम कदम उठाए हैं, जो कि कुछ इस प्रकार से है।
1 -Minimum Support Price (MSP)
कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या यह रहती है कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार MSP का निर्धारण करती है, जिसमें कि सरकार प्रत्येक वर्ष बुवाई से पहले सरकार फसलों का मूल्य तय करती है। कि इस वर्ष कौन कौन सी फसलों का न्यूनतम मूल्य क्या रहेगा और उसी के आधार पर खरीद कि जाती है।
MSP सबसे पहले 1966 में गेहूं की फसल पर दी गई और जिसके बाद समय-समय पर MSP के अंतर्गत अन्य फसलों को भी रखा गया। वर्तमान की बात की जाए तो वर्तमान में MSP के अंतर्गत 22+1 फसलें है, गन्ने पर FRB दिया जाता है। गौरतलब है कि सरकार इन फसलों पर MSP तो निर्धारित करती है लेकिन MSP पर सरकार केवल दो फसलों (गेहूं तथा चावल) की ही खरीद करती है।
2- किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य
भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में केंद्रीय बजट 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का नीतिगत लक्ष्य का निर्धारण किया है। जिसमें की कुल उत्पादन में वृद्धि, बेहतर कीमत, तकनीक में सुधार, वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से कृषि को बढ़ावा देना आदि पहल के माध्यम से किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
3- सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली
बदलती परिस्थिति के अनुसार सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को पानी की बचत करने वाली तकनीकी रूप में देखा जाता है यह एक सिंचाई की ऐसी पद्धति है जिसके प्रयोग से पानी की काफी बचत होती है जिसमें दो पद्धतियां काफी महत्वपूर्ण है।
* फव्वारा विधि – फव्वारा विधि के माध्यम से पानी का हवा में छिड़काव किया जाता है जो कृत्रिम वर्षा का एक रूप है।
* टपक या drop विधि – टपक विधि में पौधे की जड़ों तक ड्रिपर्स के माध्यम से आवश्यकता के अनुसार पानी पहुंचाया जाता है।
4 – प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
साल 2015 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को मंजूरी दी थी जिसमें 5 सालों (2015-16 से 2019 20) के लिए 50000 करोड़ रुपए की धनराशि का प्रावधान किया है।
इसी योजना का प्रमुख उद्देश्य “हर खेत को पानी” के तहत कृषि का विस्तार करना तथा पानी की बर्बादी को रोकना है।
5 – मुद्रा स्वास्थ्य कार्ड योजना
उर्वरकों के प्रयोग से मृदा में उपस्थित पोषक तत्व में होने वाली कमी को दूर करने के लिए 2014-15 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत की गई
इस योजना की थीम “स्वस्थ धरा, खेत हरा” है। इस योजना के तहत मृदा के पोषक तत्व की पहचान की जाती है तथा कमी होने पर सुधार की ओर कदम उठाए जाते हैं।
6 – परंपरागत कृषि विकास योजना
इसके अंतर्गत देश में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया गया है। यह योजना मुद्रा स्वास्थ्य एवं जैविक पदार्थ सामग्री में सुधार लाएगी तथा किसानों की आय में बढ़ोतरी करेगी इसी उद्देश्य के साथ शुरुआत की गई।
7- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
इस योजना को 13 जनवरी 2016 को लॉन्च किया गया था। इस योजना के तहत किसानों को फसल खराब होने की स्थिति में एक बीमा कवर प्रदान किया जाता है जिससे किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सके।
8 – राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना
इस परियोजना के तहत देश के जिस क्षेत्र में पानी भरपूर मात्रा में है वहां से पानी की कमी वाले क्षेत्र में स्थानांतरित करना है।
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य सूखाग्रस्त एवं कम वर्षा वाले क्षेत्र में पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है।
9 – ऑपरेशन ग्रीन्स
इस योजना की शुरुआत 2018-19 में 500 करोड़ रुपए की लागत से शुरुआत की गई। इसके तहत टमाटर, प्याज, आलू आदि फसलों की कीमतों को स्थिर करने के उपाय के बारे में निर्णय लिया गया है। इसमें उत्पादन स्थल से भंडारण तक फसलों को पहुंचाने का प्रावधान है।
10 – E-NAM
E-NAM की शुरुआत 2016 में की गई जिसमें कि कृषि एवं किसान मंत्रालय ने 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 177 नई मंडियो को कृषि उत्पाद के विपणन हेतु E-NAM पोर्टल से जोड़ा गया।
अब मंडियों की संख्या बढ़कर 662 हो गई है तथा अब 17 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में यह व्यवस्था है। इसके तहत किसान अपने नजदीकी बाजार से अपने उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री कर सकता है तथा ऑनलाइन माध्यम से ही भुगतान ले भी सकता है।
सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की आलोचनाएं
आज के समय किसानों की आय में जो गिरावट आई है वो सचमुच में हैरान करने वाली है अगर हम अन्य क्षेत्रों के आय में होने वाली वृद्धि को देखें तो इनके बीच बहुत बड़ी खाई है। वह इसलिए है कि आज किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। सरकार चाहे कितने भी दावे क्यों ना कर लें। वास्तविकता यह है कि आज किसान अपने बेटे को किसान नहीं बनाना चाहता है। क्योंकि स्थिति यह है कि अन्य सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में बेतहाशा वृद्धि हुई है जिससे किसानों की लागत तो बढ़ती है लेकिन उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है इसी कारण आज के समय कृषि क्षेत्र में आजीविक की निर्भरता तथा राष्ट्रीय आय में कृषि की भूमिका में तेजी से गिरावट आ रही है।
यह कड़ी आलोचना जरूर हो सकती है इसको कुछ तथ्यात्मक रूप से इस प्रकार से रखा जा सकता है।
* आजादी के समय कुल जनसंख्या का 75% जनसंख्या आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर था, जिसका GDP में 61% का योगदान था।
* जबकि आज के समय कुल जनसंख्या का 65% जनसंख्या कृषि क्षेत्र में अपनी आजीविका के लिए निर्भर है जिसका GDP में 20% का योगदान है।
यानी कि इससे स्पष्ट है कि 75% जनसंख्या GDP में 61% का योगदान देती थी, जबकि आज के समय 65% जनसंख्या GDP में 20% का योगदान देती है।
सरकार द्वारा किए गए कृषि क्षेत्र में यह प्रयास पर्याप्त नहीं है और जमीनी स्तर पर जो वास्तविकता है उसे नजरअंदाज के बिना उनके अनुरूप कार्य एवं नीति की आवश्यकता महसूस की जाती है।