अनुकूलतम जनसंख्या का सिद्धांत (Optimum theory of population)
यह सिद्धांत 1924 में एडविन कैनन ब्रिटिश अर्थशास्त्री ने दिया तथा इस सिद्धांत का समर्थन डाल्टन, रॉबिंस, हिक्स, बोल्डिग आदि अर्थशास्त्रियों ने दिया।
यह सिद्धांत यह कहता है कि अनुकूलतम जनसंख्या कौन सी है किसी देश में जनसंख्या में जो वृद्धि हो रही है क्या उसी अनुपात के समान संसाधन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है जिससे कि प्रति व्यक्ति उत्पादन तथा प्रति व्यक्ति आय भी निरंतर बढ़ती रहे।
अर्थात जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ प्रति व्यक्ति उत्पादन और प्रति व्यक्ति आय साथ ही जीवन स्तर में भी वृद्धि होना आवश्यक है तो वही जनसंख्या अनुकूलतम जनसंख्या कहलाएगी।
डाल्टन के शब्दों में
“अनुकूल जनसंख्या वह है जो प्रति व्यक्ति आय अधिकतम प्रदान करें।”
बोल्डिंग के शब्दों में
“जिस पर जीवन स्तर अधिकतम रहे वही अनुकूलतम जनसंख्या है।”
हिक्स के अनुसार
“अनुकूलतम जनसंख्या वह है जहां प्रति व्यक्ति उत्पादन अधिकतम रहे।”
सिद्धांत की मान्यताएं
(1) उत्पादन की तकनीक में कोई परिवर्तन नहीं।
(2) पूंजी का भंडार स्थित है।
(3) लोगों की आवश्यकताएं स्थिर।
(4) कार्यशील जनसंख्या का स्थिर होना।
(5) कार्य का समय भी निश्चित है।
अनुकूलतम जनसंख्या सिद्धांत की व्याख्या
अनुकूलतम जनसंख्या वह जनसंख्या है जहां पर स्थित प्राकृतिक एवं अन्य संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर सके। ऐसा होने पर वहां उत्पादन बढ़ने लगेगा जिससे कि प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ेगी और यह स्वाभाविक है कि जीवन स्तर भी बढ़ने लगेगा वही वास्तव में अनुकूलतम जनसंख्या है।
किसी भी देश में जनसंख्या के संदर्भ में तीन स्थिति हो सकती है-
- अनुकूलतम जनसंख्या
जब किसी देश में संसाधन का सर्वोत्तम उपयोग होने लगता है तो वहां पर प्रति व्यक्ति उत्पादन, आय व जीवन स्तर उच्च रहता है।
अर्थात जनसंख्या व संसाधन का समान अनुपात रहता है और उनका सर्वोत्तम उपयोग होता है।
- जनाभाव
जब जनसंख्या अनुकूलतम जनसंख्या से कम हो और जिससे संसाधनों का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है। जिसकी वजह से प्रति व्यक्ति उत्पादन, प्रति व्यक्ति आय तथा जीवन स्तर निम्न रहता है ऐसे में यदि जनसंख्या में वृद्धि होती है तो उत्पादन, आय और उनकी जीवन स्तर में भी वृद्धि होती है। क्योंकि अभी तक संसाधनों का पूर्ण दोहन नहीं हो पा रहा था अतः ऐसे में जनसंख्या में वृद्धि होना आवश्यक है।
- जनाधिक्य
जब जनसंख्या अनुकूलतम जनसंख्या से अधिक हो तो वहां पर संसाधन कम पड़ जाएंगे जिससे प्रति व्यक्ति उत्पादन आय का स्तर तथा जीवन स्तर में निम्न रहेगा।